Helicopters flying on Mars will soon be possible

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Source: mars.nasa.gov

Nasa is planning to fly a small autonomous helicopter on Mars which is expected to demonstrate a test of powered flights on Mars for the first time.

According to Nasa, this helicopter called Ingenuity will hitch a ride to the Red Planet with Nasa’s Perseverance Rover set to launch on 30 July this year from the Cape Canaveral Air Force Station in Florida.

Perseverance Rover is expected to reach Mars on 18 February next year. The Rover is designed to collect dirt from Mars to help research on finding signs of life on the planet.

Ingenuity looks like a four-legged spider, a small cube fixed on four spindly legs. The box is fitted with cameras and communication equipment. There are two pairs of rotor blades adjusted with a solar plate on top.

It weighs just 1.8 kilogram and may fly up to 90 second, about 10-15 feats above the ground for a distance of about 300 meters. According to Nasa this 90 second flight might need 350 Watts of average power.

This helicopter is powered by solar panel that charges its lithium-ion battery.

Compared to the atmosphere of Earth, the atmosphere of Mars if very this (about 1 per cent of Earth’s density). Ingenuity has been designed to powerful enough to lift off in Mars atmosphere.

NASA’s Manager for the Revolutionary Vertical Lift Technology Project Susan Gortan earlier said, “The helicopter will be the planets version of the Wright Brother’s achievement, and will open a new era.”

The plan at Mars is to attempt up to five flights, each one lasting up to 90 seconds.

According to Aeronautics Research Mission Directorate at Nasa Jim Banke, if the Helicopter works as planned, the future missions to Mars could carry more such Helicopters to help scientific research.

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ईरान कैसे बढ़ाएगा अपनी परमाणु शक्ति

ईरान ने कहा है कि 2015 में दुनिया की कई बड़ी शक्तियों के साथ हुए परमाणु समझौते में वो अपनी प्रतिबद्धताओं को कम करेगा और परमाणु संवर्धन के लिए शोध और विकास कार्यों से जुड़ी सभी सीमाओं को ख़त्म करेगा.

राष्ट्र के नाम जारी एक संदेश में राष्ट्रपति हसन रूहानी ने समझौते में शामिल अन्य देशों को अपनी-अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए दो महीनों का वक़्त दिया है.

ईरान ने कहा है कि परमाणु कार्यक्रमों पर निगरानी करने वाली संयुक्त राष्ट्र की संस्था इसकी निगरानी कर सकती है और ईरान अपने क़दम तभी पीछे हटाएगा जब समझौते पर सभी सदस्य पूरी तरह अमल करेंगे.

बीते साल अमरीका ने 2015 में हुए परमाणु समझौते से ख़ुद को अलग कर लिया था और ईरान पर कई पाबंदियां लगा दी थीं.

इसके बाद ईरान ने समझौते का उल्लंघन करने की घोषणा की और समझौते के तहत यूरेनियम इकट्ठा करने की निर्धारित मात्रा बढ़ाई. राष्ट्रपति रूहानी ने कहा है कि इसी सप्ताह शुक्रवार से ईरान यूरेनियम संवर्धन बढ़ाएगा और इसके लिए नए सेंट्रीफ्यूज बनाए जाएंगे.

बीते साल ईरान की परमाणु एजेंसी के प्रमुख ने संवाददाताओं से कहा कि ‘नतांज़’ परमाणु केंद्र में आधुनिक सेंट्रीफ्यूज को विकसित करने वाले ढांचे पर वो काम कर रहे हैं.

तेहरान से क़रीब 200 मील की दूरी पर मौजूद नतांज़ परमाणु केंद्र ईरान का मुख्य यूरेनियम संवर्धन केंद्र रहा है. न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव के अनुसार यहां ज़मीन के भीतर तीन और ऊपर छह बड़ी इमारतें हैं और जहां एक साथ क़रीब 50,000 सेंट्रीफ्यूज रखे जा सकते हैं.

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे?

जाने-माने अमरीकी अनुसंधानकर्ता रेमंड कुर्ज़विल ने इस सदी की शुरुआत में कहा था कि तकनीक केवल साधन बनाने तक सीमित नहीं है, ये एक प्रक्रिया है जो पहले से अधिक ताकतवर तकनीक को जन्म देती है.

उनका कहना था कि तकनीक के विकास की गति, एक दशक में कम से कम दोगुनी होगी. आज तकनीक जिस मुकाम पर पहुंच चुकी है, उससे साबित होता है कि उनका कहना ग़लत नहीं था.

लेकिन तेज़ी से होते तकनीक के विकास के साथ इसके बेक़ाबू हो जाने का डर भी उतनी ही तेज़ी से फैला है. वैज्ञानिकों और जानकारों में तकनीक से प्रेरित अनजान भविष्य का डर और उस पर चर्चा कोई नई बात नहीं है.

गूगल और एल्फाबेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई ने बीते सप्ताह कहा था कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर सावधानी बरतना बेहद ज़रूरी है.

बीते सप्ताह उनका एक लेख फाइनेन्शियल टाइम्स में छपा, जिसमें उन्होंने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर नियमों का बनाया जाना ज़रूरी है. हम नई तकनीक पर लगातार काम करते रह सकते हैं. लेकिन बाज़ार व्यवस्थाओं को उसके किसी भी तरह के इस्तेमाल की खुली छूट नहीं होनी चाहिए.”

AI को लेकर कई बार दी गई है चेतावनी

ये पहली बार नहीं है जब सुंदर पिचाई ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ख़तरों को लेकर दुनिया को आगाह किया है, न ही वो पहले ऐसे जानकार हैं जिन्होंने ऐसा किया है.

साल 2018 में कंपनी के कर्मचारियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, “दुनिया पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जितना असर होगा, उतना शायद ही किसी और आविष्कार का होगा.”

उन्होंने कहा था, “इंसान आज जिन चीज़ों पर काम कर रहा है, उनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है, शायद आग और बिजली जितना महत्वपूर्ण. लेकिन ये इंसानों को मार भी सकती है. हमने आग पर क़ाबू करना सीखा है पर इसके ख़तरों से भी हम जूझ रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करने वालों को ये समझना होगा कि ये भी ऐसी ही एक तकनीक है, जिस पर पूरी ज़िम्मेदारी से काम करना होगा.”

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