जब बंपर के एक टुकड़े से पुलिस ने फरार गाड़ी मालिक को ढ़ूंढ निकाला

मामला बड़ा फिल्मी लगता है- एक्सीडेन्ट की जगह से पुलिस ने गाड़ी के बंपर का एक टुकड़ा बरामद किया, फिर इस टुकड़े की मदद से गाड़ी का पता लगाया, और पुलिस जा पहुंची गाड़ी मालिक के घर तक।

आज हिन्दुस्तान में प्रकाशित यह खबर बड़ी दिलचस्प है। मार्च 17 को साकेत मेट्रो स्टेशन के पास एक एस.यू.वी ने एक ऑटो को टक्कर मारी, ऑटो आगे खड़ी मोटरसाकइकल से टकराई, मोटरसाकइकल पर सवार 8-वर्षीय लड़की की मौत हो गई। एस.यू.वी घटनास्थल से तुरंत फरार हो गई। पुलिस को घटनास्थल पर जो मिला वह था – एस.यू.वी के बंपर का एक टुकड़ा।

मामले में फिलमी मोड़ आया जब पुलिस ने इस टुकडें को सुबूत माना। सीबीआई की विशेष टुकड़ी ने इस बंपर के टुकड़े में छिपा सीरियल नं  निकाल लिया। इसके बाद ऑटो एक्सपर्ट की मदद से जाना गया कि बंपर का यह सीरियल नं फेर्ड इन्डेवर गड़ी का है।

इस अंदाजे पर कि यह गाड़ी रिपेयर के लिए आई होगी- मार्च महीने के बाद दिल्ली-एनसीआर में फोर्ड के सर्विस सेंटरों पर कौन सी गाड़ियों के बंपर बदले गए हैं इसका पता लगाया गया।

इसके बाद जांच-पड़ताल ज़ूम-इन हुई तीन गाड़ियों पर। गाड़ी मालिकों का पता लगा कर पूछताछ शुरू हुई। शक क व्यक्ति (प्रापर्टी डीलर सुरेश) पर गहराया। अब पिछले महीनों के कॉल रिकर्डस् की जांच हुइ, जिसके बाद पुलिस इस एक्सीडेन्ट के आरोपी तक पहुंची।

है ना बढ़िया इन्वेस्टिगेशन का उदारण।

जो एप्पल, सैमसंग, एचटीसी के सिवा कोई न कर सका, वह आईबेरी ने कर दिखाया 

iBerry Note 5.5
iBerry Note 5.5 with fingerprint scaner

इस बार पचास हजार वाले फ़ोन लॉन्च करने वाली कंपनियों ने जो कर दिखाया, वह आईबेरी ने  एक 13,990 रूपये के फ़ोन में कर दिखाया। पिछले साल गैलेक्सी S5  और एप्पल आईफोन 5S और 5C के फिन्गरप्रिन्ट सेन्सर के साथ आने के बाद जैसे महंगे फोन एक नया ही परिचय मिला- फिन्गरप्रिन्ट सेन्सर। आनन-फानन में एचटीसी ने भी मैक्स वन मार्केट में ला खड़ा किया।

वहीं भारतीय फोन कंपिनयाँ 8-कोर और सस्ते 4-कोर प्रोसेसर वाले फोन लॉच करने में लगे रहे। पर आईबेरी ने आज फिन्गरप्रिन्ट सेन्सर के साथ अपना नया और सस्ता फोन, नोट 5.5 लाँच कर दिया। एक महंगे फीचर के साथ, 13,990 रूपये में इतना सस्ता फोन फिलहाल बाज़ार में किसी के पास नहीं है।

आईबेरी नोट 5.5 1.7GHz स्पीड वाला ऑक्टा-कोर प्रोसेसर फोन है जिसमें मीडियाटेक MT6592 प्रोसेसर का इसेतेमाल किया गया है। प्रोसेसर का साथ देने के लिए Mali 450MP ग्राफिक्स प्रोसेसर हऐ और 2GB RAM है। जहां फो में 16GB की मेमरी है वहीं मेमरी को 64GB तक बढ़ाने की भी सुविधा है।

यह एक डूअल सिम फोन है जिसमें पीछे की तरफ 13 मेगापिक्सल कैमरा और फोन के आगे की तरफ 8 मेगापिक्सल कैमरा है।

फोन की खास बात है इसका फिन्गरप्रिन्ट सेन्सर जो कि सैमसंन गैलेक्सी S5 की ही तर्ज पर है, यानि कि सॉफ्टवेयर के रूप में, जिसमें फोन के स्क्रीन पर गूठा फिराकर फोन को अनलॉक किया जा सकता है।

एप्पल, सैमसंग इस अनलॉक  के जरिये फ़ोन के माध्यम से पेमेंट गेटवेज़ की सुविधा प्रदान करते हैं, आईबेरी ऐसा करता है या नहीं, यह फ़ोन के कल लांच होने बाद ही पता चल पायेगा।

गूगल प्ले स्टोर पर आपको कई ऐसे एप्स मिलेंगे जो आपका फिंगरप्रिंट स्कैन कर के फ़ोन लॉक या अनलॉक कर सकते हैं। (देखें- 1, 2, 3) ऐसे में हमें इंतज़ार हैं यह देखने किस प्रकार इसका इस्तेमाल नोट 5.5  नें किया गया है । यह फोन कल इबे पर खरीदने के लिए उपलब्ध हो जाएगा।

कहाँ तक बचेंगे कैमरे से, आप उसकी निगरानी में जो रहेंगे?

George Orwell 1984
Big brother is watching you

ये कम्पयूटर, ये सटाक-सटाक बंद होनेवाले मेट्रो ट्रेन के दरवाजें, यह पलक झपकते ही फर्राटे में हवा से बात करने वाली कार – यह सब टेक्नोलॉजी की बातें आपको डरावनी लगती हैं? परन्तु जिस दिशा में हम प्रगति कर रहे हैं, कहाँ तक आप बच पाएंगे आप टेक्नालॉटी से?

विश्व आज आम लोगों के गाँव और शहरों से अलग नए ‘स्मार्ट’शहरों की तरफ बढ़ रहा है। हमारे पडोसी चीन,एशिआई देश साऊथ, उधर सऊदी अरब में करोड़ों की लागत से सरकारें नए स्मार्टशहरों को बनाने के काम के  हैं । भारत में इसकी शुरुआत हो चुकी है। गुजरात के गांधीनगर में ‘गुजरात स्मार्टसिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट‘ के नाम से एक नए शहर प्रकार  का कार्य प्रगति पर हैं।

इस ख़ास शहर में सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज से जायेगी (घरों की छतों पर सोलर पैनल के माध्यम से) जिससे रोशनी की व्यवस्था  की जा सकेगr। साथ ही कोयले और पानी से पैदा की गयी बिजली का भी इस्तेमाल होगा ।

इस ख़ास शहर में सोलर एनर्जी और रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज से जायेगी (घरों की छतों पर सोलर पैनल के माध्यम से) जिससे रोशनी की व्यवस्था  की जा सकेगी। साथ ही कोयले और पानी से पैदा की गयी बिजली का भी इस्तेमाल होगा । गलियों में लाइट्स की व्यवस्था दुरूस्त होगी, हर जगह वाई-फाई होगा, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और ट्रैफिक की व्यवस्था को सबल और आटोमेटिक बनाया जायेगा ।

यहाँ तक तो सब कुछ ठीक है, आब सबसे अहम बात,  सड़कों पर कैमरों के ज़रिये अपराधियों (क्रिमिनल) को पहचानना और पकड़ना आसान कैसे? जिन अपराधियों को पुलिस पकड़ेगी उनके और डीएनए के  सैंपल कंप्यूटर पर अपलोड करेगी । यदि वह चेहरा सड़क पर दिखा रोड-रास्तों पर लगे कैमरे उस चेहरे को पहचान नजदीकी पुलिस स्टेशन पर अलर्ट भेज सकेगा, और अपराधी को पकड़ लिया जाएगा ।

परन्तु ऐसी स्मार्ट सिटी में शिक्षा की व्यवस्था क्या होगी, क्या क्लाउड स्टडी को महत्व दिया जाएगा, कारों से खचाखच भरी रोड से बचने के लिए क्या हवाई रास्तों का उपयोग होगा, आटोमेटिक कारों को जगह दी जाएगी, रास्ते पर लगा कैमरा, जो कि अपराधी की तस्वीर के ज़रिए उसे ढूंढने को तत्पर रहेगा, उस तस्वीर को मैच करने के लिए क्या मेरी ही तस्वीर कैमरे में उतार लेगा- ऐसे अनेक प्रश्न हैं जिन पर अभी चर्चा होनी बाकी है।

यदि हम यह माने  कैमरा के उस तरफ बैठा व्यक्ति या दल – सड़कों-गलियों में लगे कैमरों के जरिये अपराधी पर ही नहीं वरन हर (व्यक्ति की) गतिविधि को देख सकेंगे तो यह गलत नहीं होगा । जोड़-घटा कर हम इस नतीजे पर पहुँचते हैं कि चिहित भले ही कुछ ही चेहरे किया जाएँ, कैमरे के निशाने पर हर चेहरा रहेगा- आपका भी ।

 गलत नहीं कहा था जॉर्ज ओरवेल ने- बिग ब्रदर इस वाचिंग यू । 

चित्र आभार: blogs.phoenixnewtimes.com

ये तो पूरा आईफोन की नकल है जी!

Samsung Galaxy Alpha
Samsung Galaxy Alpha

सैमसंग अगस्त 13 को अपना पहला पूरी मेटल-बॉडी का फोन, गैलेक्सी आल्फा लाँच करने जा रहा है। इस नए फोन के कुछ चित्र चाइनीज़ सोशल नेटवर्किगं वेबसाइट वीबो पर देखी गई है।

जी फॉर गेम्स ने इस नए फोन के चित्र पोस्ट किए हैं,  जिसमें से एक हम आपके लिए एप्पल आईफोन 5एस के साथ पोस्ट कर रहें हैं। पहली नज़र में ही साफ पता चलता है कि सैमसंग ने आईफोन की हू-ब-हू नकल तैयार की है। सैमसंग फोन के साइड कर्व, फ्रन्ट पैनल, पीछे की तरफ कैमरे और एलईडी लाइट का स्थान काफ हद तक मिलता जुलता है। हमें यह पता है कि इस बार एप्पल की ही तरह सैमसंग भी इस बार फुल-मेटल बॉडी का आल्फा फोन लाने वाला है।

आज लीक हुई एक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार, इस फोन के स्पेक्स भी एप्पल आईफोन से पूरी तरह मिलते-जुलते हैं। ब्रिटेन के मोबाइलफन नामक ऑनलाइन विक्रेता ने फोन को प्री-ऑर्डर के लिए वेबसाइट पर डालते हुए, इस फोन के स्पेक्स को ज़ाहिर कर दिये। फोन में आईफोन की ही तरह एचडी क्वालिटी का 4.7 इन्च डिस्पले है, फिन्गरप्रिन्ट सेन्सर है और 4जी एलटीई के लिए सपोर्ट है।

इस रिपोर्ट के अनुसार एप्पल से एक कदम आगे बढ़ते हुए सैमसंग ने गैलेक्सी आल्फा में 12 मेगापिक्सल का कैमरा दिया है, और माइक्रो एसडी के द्वारा मेमरी बढ़ा सकने का ऑप्शन दिया है । आई फोन में 8 मेगापिक्सल का कैमरा है, इसमें फिक्सड मेमरी है, मतलब आप माइक्रो एसडी कार्ड का उपयोग नहीं कर सकते।

सैममोबाइल में छपी एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार गैलेक्सी आल्फा में 13 मेगापिक्सल का कैमरा है और इसमें सैमसंग एक्साइनस 8-कोर अथवा स्नैपड्रेगन 800 या 801 प्रोसेसर का उपयोग करेगा।

जहाँ एप्पल अपना आईफन 16 सितम्बर को लाँच करने वाला था वहीं सैमसंग ने 13 सितम्बर का दिन गैलेक्सी आल्फा के लाँच के लिए निर्धारित किया। ताज़ा खबरों के हवाले से एप्पल अपना आईफोन 6 9 सितम्बर को लाँच करेगा, और 3 सितम्बर को सैमसंग अनपैक्ड का आयोजन बर्लिन में किया जा रहा है, जिसमें गैलेक्सी नोट 4 के लाँच की संभावना है।  देखन होगा कि यदि 9 सितम्बर को एप्पल को प्रोग्राम आयोजित हो रहा है तो क्या सैमसंग भी अपने कार्यक्रम में फेरबदल कर सकता है।

आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स और जीवन

पिछले हफ्ते हमने गूगल कर के बारे में लिखा था। हमारा मानना है कि “टेक्नोलॉजी के मामले में अभी बहुत कुछ हासिल नहीं हो पाया है। यानि कि ऐसे रोबोट जो स्वयं परिस्थितियों का अनुमान लगा कर, निर्णय लें, और उसका कार्यान्वयन कर सकें- अभी नहीं बन पाए हैं।”
परिस्थितियाँ बेहद भयानक हो सकती हैं यदि आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स यानी कि कंप्यूटर को ही स्वयं सोच कर निर्णय लेना पड़े ।
टेस्ला और स्पेस x जैसी कंपनियों के स्थापक एलोन मस्क ने हाल ही में निक बोस्ट्रॉम की सुपर-इंटेलिजेंस: पाथ्स, डेंजरस एंड स्ट्रेटेजीज पढ़ी । उनका मानना है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स को ले कर बेहद सावधानी बरतना जरूरी है। इसमें न्यूक्लियर हथियारों से अधिक खरतनाक होने की संभावना हो सकती है ।
आप नहीं मानते? वॉल -ई  मूवी में देखें  जब शिप का ऑटोमेटेड कप्तान शिप का पूरा दायित्व ले लेता है तो उसकी समझ उतनी ही होती है जीती उसमे प्रोग्राम के द्वारा फीड की गयी है। उसके समक्ष जीवन का महत्व (यानी शिप के असली कप्तान और वॉल-ई का) नहीं रह जाता ।

बिना ड्राइवर वाली कार- क्‍या हो अगर कार को सोचना पड़ें एक्‍सीडेंट के वक्‍त क्‍या करना है ?

car
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क्या हो अगर बिना ड्राइवर वाली कार को सोच-समझ कर निर्णय लेना पड़े और एक्सिडेन्ट होने में बस दो ही सेकन्ड का फासला हो?

आज हम एक ऐसी दुनिया में हैं जहां मशीनें (या रोबोट कह लें) साथ रहते और काम करते हैं। आपका फोन, कॉफी मशीन, एटीएम मशीन, इलेक्ट्रिक टी वेन्डिन्ग मशीन – सब रोबोट के ही तो उदाहरण हैं। इस साल गूगल का अपने बिना ड्राइवर वाली कार दुनिया को दिखाने के बाद, हम यह कह सकते हैं कि यह रोबोट अब एक कार भी हो सकती है।

आज तक टेक्नोलाजी विधताओं ने अनेक क्षेत्र में अपनी सफलता के झण्डे गाड़े हैं लेकिन इन्टेलिजेन्ट टेक्नोलॉजी के मामले में अभी बहुत कुछ हासिल नहीं हो पाया है। यानि कि ऐसे रोबोट जो स्वयं परिस्थितियों का अनुमान लगा कर, निर्णय लें, और उसका कार्यान्वयन कर सकें- अभी नहीं बन पाए हैं। (इस प्रकार के रोबोटस् जो मनुष्य के कन्ट्रोल से परे हों, यह नैतिक रूप से चर्चा का विषय है। परन्तु आज हम विषय पर कुछ नहीं कहेंगे।)

ऐप में रूचि अनुसार खबरें सजा कर पेश करना, फोन को पलट कर रखने से फोन को वाइब्रेशन मोड पर डाल देना, मित्र का जन्मदिन या सालगिरह याद दिला देना, या फिर नज़र हटा लेने पर विडियो प्ले रोक देना – हमारो गैजेट (रोबोट) कुछेक स्थितियों का अंदाज़ा लगा, अनुरूप काम कर सकते हैं। परन्तु जहां अकस्मात् किसी कारणवश, पूर्व से फीड नहीं की गई स्थिति का मामला आया, हमें स्वयं जानकारी नहीं कि हमारे गैजेट हमरा कितना साथ देंगे।

ऐसे में ज़रा गौर कीजिए आप अपने मित्र के साथ अपनी नई गूगल की बिना ड्राइवर वाली गाड़ी में बैठकर जा रहे हैं और सामने से ट्रक आए। स्थिति कुछ ऐसी कि दाएं या बाएं मोड़कर कार किसी सरत में एक ही को बचा सकती है। अब आपकी कार, जिस पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है वह किसे बचाएगी और किसे खतरे में धकेल देगी? आई, रोबोट में ऐसीमोव का सोचना गलत नहीं था। जब जिंदगी रोबोट के हाथ सौंपी जाए तो इसके परिणाम को लेकर मन में सवालों का उठना लाजमी है।

यह उदाहारण किसी के सामने भी आ सकता हैं, ऐसे में जब दुर्घटना का घटना अटल है तक कार की सोच (या ड्राइवर के हाथ में स्‍टेरिंग हो तो ड्राइवर की सोच) सिर्फ एक की ही जान बचा सकती है। इस विषय पर कार डिजाइनरों को गौर करने की जरूरत है।

यह सवाल जहां बेहद संजीदा है वहीं एक नैतिक प्रश्‍न भी है जिसका उत्‍तर सोचा समझा हो पाना मुश्किल है। ऐसे में साफटवेयर प्रोग्राम में इस तरह की स्थितियों का पूर्वानुमान लगाकर उत्‍तर तैयार करना किसी नदी को उल्‍टे बहा सकने जितना कठिन है।

हमारा मानना है कि तकनीक बनाना एक उपलब्धि जरूर है।परंतु उसे सटीक  रूप से हकीकत में संभव कर पाना अनिवार्य है। गूगल का जहां तकनीक का बेहद उम्‍दा उदाहारण है वहीं हमें यह जानने का इंतजार है कि विपदजनक हालात में इस प्रकार की तकनीक काम कैसे करती है।