रोबोट और एथिक्स- कितना संभव?

Screenshot of Marvin, the Paranoid Android from the movie Hitchhiker’s Guide to the Galaxy

रेलवे ट्रैक पर सरपट दौड़ रही एक ट्रेन के ब्रेक फेल हो गए हैं. ट्रैक पर पांच लोग हैं. उन्हें बचाने के लिए आप ट्रैक बदल सकते हैं. लेकिन दूसरे ट्रैक पर एक आदमी काम कर रहा है और ट्रैक बदला तो उसकी मौत तय है.

आप क्या करेंगे- पांच जानें बचाएंगे या एक?

इस सवाल का जवाब आज आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में काम कर रहे वैज्ञानिकों बड़ा सरदर्द बन गया है. इसका जवाब अगर इंसानों के लिए मुश्किल है तो रोबोट क्या करेगा?

इस तरह की परिस्थिति में जहां फ़ैसले लेना इंसानों के लिए भी मुश्किल है वहां रोबोट फ़ैसले कैसे लेगा. सवाल ये कि क्या रोबोट इंसानों की तरह सोच विचार कर फ़ैसले ले सकेगा?

क्या कुछ लोगों को बचाने के लिए एक की कुर्बानी देने से समस्या का हल निकल सकता है, लेकिन क्या ये सही होगा? असल में ये नैतिकता यानी एथिक्स का सवाल है.

पढ़िए रिपोर्ट- क्या रोबोट सीख सकता है सही-ग़लत में फर्क करना?

हाइपरसोनिक मिसाइल क्यों होते हैं इतने ख़तरनाक?

आवाज़ की गति से कई गुना तेज़ चलने वाली मिसाइलें अमेरिका, चीन और रूस के बीच हथियारों की रेस का कारण बन चुकी हैं. अब इस रेस में उत्तर कोरिया भी शामिल हो गया है.

source: BBC

उत्तर कोरिया ने कहा है कि नवंबर 2021 को देश के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन की निगरानी में देश ने एक और हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. ये मिसाइल एक हज़ार किलोमीटर दूर ‘सटीक’ अपने लक्ष्य पर गिरी.

बताया जा रहा है कि उत्तर कोरिया ने तीसरी बार ऐसे मिसाइल का परीक्षण किया है जो बैलिस्टिक मिसाइल की तुलना में रडार की नज़र में आने में बच सकती है. किम जोंग-उन के नए साल के मौक़े पर दिए भाषण के बाद एक ही सप्ताह के भीतर देश ने दो मिसाइल परीक्षण किए थे.

चीन के आसमान में बेहद तेज़ गति से रॉकेट जैसी कोई चीज़ उड़ती दिखाई दी. लगभग पूरी धरती का चक्कर लगाने के बाद ये कथित तौर पर अपने लक्ष्य से क़रीब 40 किलोमीटर पहले गिरी.

हाइपरसोनिक मिसाइलें ख़तरनाक क्यों हैं – पढ़े रिपोर्ट